राष्ट्र ओबीसी मोर्चा की क्या हैं मांगें
- राज्य की पंचायतों में ओबीसी आरक्षण को बनाए रखा जाए. चूंकि काफी संघर्ष के उपरांत अन्य पिछड़ा वर्ग को सरकारी सेवा, शिक्षा एवं पंचायत चुनाव में प्रतिनिधित्व का अवसर मिला है.
- अब पंचायत प्रतिनिधित्व में 27% आरक्षण भी खतरे में है. राज्य का ओबीसी वर्ग दूसरी बार अन्याय के कगार पर खड़ा कर दिया गया है . जबकि भारतीय संविधान समुचित प्रतिनिधित्व की पहल करता है, इसलिए अनुसूचित जाति व जनजाति के साथ-साथ ओबीसी को भी जनसंख्या के अनुपात में उचित न्याय और हिस्सेदारी दी जाए, जो संवैधानिक अधिकार है.
- 55% जनसंख्या वाले ओबीसी को आरक्षण देने की बात आती है, तो कोर्ट 27% आरक्षण को अन्यायोचित बता कर सीमित कर देता है और जब आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को 10% आरक्षण देने की बात आती है तो संवैधानिक आरक्षण सीमा 50% की लिमिटेशन को 60% बढ़ाने पर कोर्ट चुप्पी साध लेता है. ठीक वैसे ही जनगणना के मामले में ओबीसी की जनगणना कराने पर सरकार नकार देती है.
- ऐसी असमानता और क्षोभ पैदा करने वाली विषमतापूर्ण हालत में ओबीसी को नौकरी में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अनुशंसा के आलोक में सरकार 14% से बढ़ाकर 50% करने का वादा पूरा करे.
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